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About Sai Baba

Sai Baba of Shirdi, also known as Shirdi Sai Baba, was an Indian spiritual master who is regarded by his devotees as a saint, a fakir, a satguru and an incarnation (avatar) of Lord Shiva. He is revered by both his Hindu and Muslim devotees during, as well as after his lifetime. Saibaba is now revered as incarnation of Sri Dattatreya, and considered as Saguna Brahma. He is attributed to be the creator, sustainer and destroyer of this universe by his devotees. He is decorated with jewels and all forms of Hindu vedic deities as he is supreme God. 
According to accounts from his life, he preached the importance of realization of the self, and criticized love towards perishable things. His teachings concentrate on a moral code of love, forgiveness, helping others, charity, contentment, inner peace, and devotion to the God and guru. He stressed the importance of surrender to the true Satguru, who, having trod the path to divine consciousness, will lead the disciple through the jungle of spiritual training.
Sai Baba also condemned distinction based on religion or caste. It remains unclear if he was a Muslim or a Hindu. This, however, was of no consequence to Sai Baba.His teaching combined elements of Hinduism and Islam: he gave the Hindu name Dwarakamayi to the mosque in which he lived,practised both Hindu and Muslim rituals, taught using words and figures that drew from both traditions, and took samadhi in Shirdi. One of his well-known epigrams, Allah Malik (God is King) and Sabka Malik Ek (Everyone's Master is One), is associated with both Hinduism and Islam. He is also known to have said Look to me, and I shall look to you.



शिरडी के साई बाबा की महिमा 

आज भारत में बच्चा बच्चा साई बाबा के बारे में जानता है और देश के प्रसिद्ध मंदिरों में  साई बाबा का समाधी मंदिर अपनी एक पहचान बनाये हुए है |
जिन्होंने अपना ६० साल से भी ज्यादा का समय शिर्डी गाँव में गुजार दिया . वे एक भारतीय योगी संत फखिर थे जिनके पास ह्रदय में दया और आद्यात्मिक शक्तियां  थी |
इन्होने अविश्वसनीय चमत्कार अपने  भक्तो  के हित के लिए किये और हिन्दू और मुस्लिम दोनों संप्रदाय उनपे अटूट विश्वास और श्रद्दा रखते थे |
आज साईं बाबा के भक्त दुनिया भर से है , उन्होंने अपने भक्तो को मानवीय रिश्तो की अलग ही परिभाषा समझाई  . हिन्दू मुस्लिम दोनों सम्रदाय के बीच इन्होने प्यार बढाया. दोनों संप्रदाय के त्यौहार दोनों संप्रदाय मिलझुल के बड़ी धूम धाम से मनाते है . साईं बाबा ने तो अपने निवास वाली मस्जिद का नाम भी द्वारकामाई  (भगवन कृष्णा की भूमि ) रख लिया था .
साईं बाबा का एक प्रसिद्ध नारा था सबका मालिक एक है .

साई बाबा की महिमा और इतिहास

शिर्डी आने के बाद अपने तेजस्वी चेहरे और अपने मानवीय और आधात्मिक रीतियों से वे सभी शिर्डी वासियों के दिलो में समाने लग गये . उन्होंने लोगो के बीच रहकर उनका दुःख जाना ही नहीं अपितु निवारण भी किया | साईं बाबा द्वारकामाई की मस्जिद में रहे और वहा एक अनवरत हवन कुण्ड में  अग्नि जलाई , उस अग्नि की भस्म जिसे उड़ी के नाम से जाना गया , समस्त बीमारियों से निजात दिलवाने वाली असीम शक्ति की परिचायक है |  यह साईं बाबा की चमत्कारी उड़ी बड़े से बड़े रोगों का निधान करने में सहायक थी | साईं बाबा के भक्तो में क्या हिन्दू क्या मुस्लिम | उनका एक ही धर्म था वो है सच्ची मानवता | साईं बाबा को क़ुरान और गीता की भी ज्ञान था |

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